गगन से ऊंची उड़े पतंग अब तुम्हारी। कभी किसी से न क | हिंदी कविता

"गगन से ऊंची उड़े पतंग अब तुम्हारी। कभी किसी से न कटे पतंग तुम्हारी। यही दुआ है मेरी सदा खुशी रहो तुम, ऊंचाइयों में सदा बनी रहे पतंग तुम्हारी। ©anuj dehariya"

 गगन से ऊंची उड़े पतंग अब तुम्हारी।
कभी किसी से न कटे पतंग तुम्हारी।
यही दुआ है मेरी सदा खुशी रहो तुम,
ऊंचाइयों में सदा बनी रहे पतंग तुम्हारी।

©anuj dehariya

गगन से ऊंची उड़े पतंग अब तुम्हारी। कभी किसी से न कटे पतंग तुम्हारी। यही दुआ है मेरी सदा खुशी रहो तुम, ऊंचाइयों में सदा बनी रहे पतंग तुम्हारी। ©anuj dehariya

मकरसंक्रांति को हार्दिक शुभकामनाएं

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