लिख दिया नसीब रब ने,
ख्वाहिशों को दरकार करके
मां बाप ने छोड़ दिया,पल में
बेगाना करके,
अमानत हूँ " मैं "
कहकर ब्याह दी जाती हूँ,
रीत की आड़ में ," मैं " पीसी
जाती हूँ , एक औरत का चौला
औड कर, जिम्मा फिर नया
उठाती हूँ, शादी के बाद फिर,
एक नया परिवार चलाती हूँ,
औरत हूँ ,"मैं"हर दर्द सही जाती हूँ
ससुराल में सबका ध्यान रखी
जाती हूँ,अपना दर्दो गम"मैं "
सबसे छिपाती हूँ,समझ सका
ना कोई मेरे व्यवहार को,औरत
हूँ," मैं "आज भी देश के किसी
कोने में तिरिस्कार में जी जाती हूँ.
©पथिक..
#Woman