न जाने आजकल ये कैसा प्यार है। जिस्म को सौंप देना,य | हिंदी Shayari

"न जाने आजकल ये कैसा प्यार है। जिस्म को सौंप देना,ये तो पाप है।। ये जिस्म नहीं ये ईश्वर का वरदान है। जो मर्यादा को न त्यागे‌ वो ही सच्चा इंसान है।। क्या जिस्म खिलौना है। नहीं न तो फिर रक्षा करो, क्योंकि ये ही असली गहना है।। ©Dr.Dharmendra sharma"

 न जाने आजकल ये कैसा प्यार है।
जिस्म को सौंप देना,ये तो पाप है।।
ये जिस्म नहीं ये ईश्वर का वरदान है।
जो मर्यादा को न त्यागे‌ वो ही सच्चा इंसान है।।
क्या जिस्म खिलौना है।
नहीं न तो फिर रक्षा करो,
 क्योंकि ये ही असली गहना है।।

©Dr.Dharmendra sharma

न जाने आजकल ये कैसा प्यार है। जिस्म को सौंप देना,ये तो पाप है।। ये जिस्म नहीं ये ईश्वर का वरदान है। जो मर्यादा को न त्यागे‌ वो ही सच्चा इंसान है।। क्या जिस्म खिलौना है। नहीं न तो फिर रक्षा करो, क्योंकि ये ही असली गहना है।। ©Dr.Dharmendra sharma

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