नदियां लाशों को पानी में नहीं रखतीं हैं, तैरे या ड | हिंदी Shayari

"नदियां लाशों को पानी में नहीं रखतीं हैं, तैरे या डूबे किनारे तो सभी जाएंगे; चाहे कितनी भी बुलंदी पर चला जाए कोई, एक दिन तो उतारे तो "सभी" जाएंगे।। ©- चाणक्य (के अनकहे लफ्ज़)"

 नदियां लाशों को पानी में नहीं रखतीं हैं,
तैरे या डूबे किनारे तो सभी जाएंगे;

चाहे कितनी भी बुलंदी पर चला जाए कोई,
एक दिन तो उतारे तो "सभी" जाएंगे।।

©- चाणक्य (के अनकहे लफ्ज़)

नदियां लाशों को पानी में नहीं रखतीं हैं, तैरे या डूबे किनारे तो सभी जाएंगे; चाहे कितनी भी बुलंदी पर चला जाए कोई, एक दिन तो उतारे तो "सभी" जाएंगे।। ©- चाणक्य (के अनकहे लफ्ज़)

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