White सागर अथाह है पर, किनारे का पता नहीं। घूम रहा | हिंदी कविता Video

"White सागर अथाह है पर, किनारे का पता नहीं। घूम रहा हूं मजबूर हो, गंतव्य का पता नहीं। अपनी जिंदगी बेसहारा बन, दांव पर मैंने ही लगाई है। सीखो उस नांव से जिसने,, लक्ष्य हेतु डुबकी लगाई है।। वक्त को गंभीरता से लें, अन्यथा बीच मझधार भी है। तुम राह की पहचान करो,, अभी उस ओर संसार भी है। मेरी कहानी अधूरी ना हो, तक़दीर मेहनत से बनाई है। सीखो उस नांव से जिसने,, लक्ष्य हेतु डुबकी लगाई है।। ©Satish Kumar Meena "

White सागर अथाह है पर, किनारे का पता नहीं। घूम रहा हूं मजबूर हो, गंतव्य का पता नहीं। अपनी जिंदगी बेसहारा बन, दांव पर मैंने ही लगाई है। सीखो उस नांव से जिसने,, लक्ष्य हेतु डुबकी लगाई है।। वक्त को गंभीरता से लें, अन्यथा बीच मझधार भी है। तुम राह की पहचान करो,, अभी उस ओर संसार भी है। मेरी कहानी अधूरी ना हो, तक़दीर मेहनत से बनाई है। सीखो उस नांव से जिसने,, लक्ष्य हेतु डुबकी लगाई है।। ©Satish Kumar Meena

डुबकी लगाई है

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