दिल से दिल तक
चाहे ना बातें हो, ना ही भले मुलाकातें हो
दिल से दिल की राह जुड़ जानी है तो जुड़ ही जाती है
पलकें ज़रा जो मूंद लू मैं
आंखों में परछाई तुम्हारी ही नज़र आती है
इक अनजानी सी, अनदेखी सी डोर
तुम्हारी ही ओर बस खींच के ले आती है
चाहे जान के, या फिर अनजाने में भी
हर नज़र, हर डगर तुम्हारी ही ओर मुड़ ही जाती है
तूने कभी चाहे ना छुआ हो मुझे मगर
तेरी छुअन को महसूस किया है मैंने
जब भी हौले से हवा छू जाती है
चाहे हो तेरी बेपरवाह सी हंसी,
या फिर के तेरी ख़ामोशी की सदा
जब भी सुनती हूं कानों में इश्क़ सा घोल जाती है
तुम्हारी एक झलक, एक नज़र
एक ही पल में धड़कन बढ़ा जाती है
ज़िन्दगी क्या है इक तेरा नाम, इक तेरा साथ
बस कभी तुम्हारे संग कभी तुम्हारी यादों के
अब ये सांस आती और जाती है
©®agypsysoul
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