मैं खुद को इतना समेट सकता हूँ तुम कहीं भी कब्र खो | हिंदी शायरी

"मैं खुद को इतना समेट सकता हूँ तुम कहीं भी कब्र खोद दो उसमें मैं लेट सकता हूँ"

 मैं खुद को इतना समेट सकता हूँ 
तुम कहीं भी कब्र खोद दो
उसमें मैं लेट सकता हूँ

मैं खुद को इतना समेट सकता हूँ तुम कहीं भी कब्र खोद दो उसमें मैं लेट सकता हूँ

#citysunset

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