इक गुज़ारिश करते हैं हम ख़ुदा से हमारे, ना फेर यूँ न | हिंदी Shayari

"इक गुज़ारिश करते हैं हम ख़ुदा से हमारे, ना फेर यूँ नज़र रंग दे फिर से नज़ारे। कितना बेरंग हुआ है फ़िज़ाओं का हर रंग, तुम कर दो करम तो रंगीन हो जाएंगे सारे।। बृजेश शर्मा 'वाणी'✍️ ©Rose Sharma"

 इक गुज़ारिश करते हैं हम ख़ुदा से हमारे,
ना फेर यूँ नज़र रंग दे फिर से नज़ारे।
कितना बेरंग हुआ है फ़िज़ाओं का हर रंग,
तुम कर दो करम तो रंगीन हो जाएंगे सारे।।

बृजेश शर्मा 'वाणी'✍️

©Rose Sharma

इक गुज़ारिश करते हैं हम ख़ुदा से हमारे, ना फेर यूँ नज़र रंग दे फिर से नज़ारे। कितना बेरंग हुआ है फ़िज़ाओं का हर रंग, तुम कर दो करम तो रंगीन हो जाएंगे सारे।। बृजेश शर्मा 'वाणी'✍️ ©Rose Sharma

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