White लोग कहेंगे क्या सोचेंगे पड़े रहे इस फेरे में | हिंदी कविता Video

"White लोग कहेंगे क्या सोचेंगे पड़े रहे इस फेरे में रोशनी रोशनी खेल रहे थे डूबे रहे अँधेरे में खून के रिश्ते मधुर तिक्त से आगे विष में माते हैं सब संयुक्त विभक्त हुए एकल परिवार बनाते हैं बचपन और बुढापा दोनों पलने लगे अकेले में.... रोशनी रोशनी खेल रहे थे...... भौतिकता हावी है यूँ चहुँ ओर चमाचम ऊपर है अंध अनुकरण मगन है फिर भी नींद शान्ति की दूभर है भरी घुटन सब भीतर है....… चोर सिपाही बने हुए सब अपने अपने घेरे में.... रोशनी रोशनी खेल रहे थे...... जिस दिन अपनी जड़ को हमने दकियानूसी माना था उसने था बहकाया हमको जिसका नहीं ठिकाना था  सेवा धर्म बहाना था.... गेंहुवन से फुँफकार छीन ले... दम ही नहीं सँपेरे में रोशनी रोशनी खेल रहे थे.....                                      उलझन सुलझाने वाले ही उलझे तेरे मे ©Santosh 'Raman' Pathak "

White लोग कहेंगे क्या सोचेंगे पड़े रहे इस फेरे में रोशनी रोशनी खेल रहे थे डूबे रहे अँधेरे में खून के रिश्ते मधुर तिक्त से आगे विष में माते हैं सब संयुक्त विभक्त हुए एकल परिवार बनाते हैं बचपन और बुढापा दोनों पलने लगे अकेले में.... रोशनी रोशनी खेल रहे थे...... भौतिकता हावी है यूँ चहुँ ओर चमाचम ऊपर है अंध अनुकरण मगन है फिर भी नींद शान्ति की दूभर है भरी घुटन सब भीतर है....… चोर सिपाही बने हुए सब अपने अपने घेरे में.... रोशनी रोशनी खेल रहे थे...... जिस दिन अपनी जड़ को हमने दकियानूसी माना था उसने था बहकाया हमको जिसका नहीं ठिकाना था  सेवा धर्म बहाना था.... गेंहुवन से फुँफकार छीन ले... दम ही नहीं सँपेरे में रोशनी रोशनी खेल रहे थे.....                                      उलझन सुलझाने वाले ही उलझे तेरे मे ©Santosh 'Raman' Pathak

#रोशनी
#अँधेरे

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