प्रेमी मूलत तीन तरह के होते हैं, पहले वो , जो कभी | हिंदी Shayari

"प्रेमी मूलत तीन तरह के होते हैं, पहले वो , जो कभी अपने प्रेम के सामने , अपना प्रेम व्यक्त नहीं कर पाते, और अगर व्यक्त कर भी दे, तो भी प्रेम के बदले, प्रेम नहीं मिलता, निस्वार्थ भाव से बस प्रेम करते हैं,उनके हृदय में , अपने प्रेमी के लिए, अपार प्रेम, और सम्मान होता है, कभी- कभी, जब जिंदगी उनकी, मेहरबान होती उनपर , तो प्रेम कितना सुंदर हो सकता है, उसकी एक झलकी मात्र अनुभव कर पाते,अपने प्रेम को खुश देख कर खुश हो जाते, और कोई आशा भी नहीं रखते, दूसरे वो, जो प्रेम व्यक्त भी करते हैं, प्रेम के बदले प्रेम भी मिलता है, पर उतना नहीं जितना वो देते हैं, प्रेम नाम के पौधे को मिट्टी में तो दोनो लगाते, पर सींचता बस एक हीं है, दूसरा बस अपेक्षाएं रखता की पहला सींच लेगा, और अपेक्षाएं पूरी ना होने पर, पौधे को ही नुकसान पहुंचा डालता है, फिर जो अधिक प्रेम करता , उसे पौधे को सींचना भी पड़ता और संभालना भी। और तीसरे वो जिन्हें उनके प्रेम के बदले वैसा ही प्रेम मिलता जैसा वो करते हैं, उनका प्रेमी उनके लिए धूप में छांव का काम करता है, उनके घाव में मरहम की तरह काम करता है,, जिंदगी के हर मुश्किल सफर में हाथ थामे चलता है, मां की तरह गोद में सुलाता है ,पिता की तरह संभालता है, और भाई की तरह हिफाजत करता है, यह तीसरे प्रेमी सबसे ज्यादा भाग्यशाली होते हैं, क्योंकि वास्तव में सही अर्थ में जो प्रेम का मतलब है उन्हें वही मिलता है। ©Durga_bondopadhay"

 प्रेमी मूलत तीन तरह के होते हैं,
पहले वो , जो कभी अपने प्रेम के सामने , अपना प्रेम व्यक्त नहीं कर पाते,  और अगर व्यक्त कर भी दे, तो भी प्रेम के बदले, प्रेम नहीं मिलता, निस्वार्थ भाव से बस प्रेम करते हैं,उनके हृदय में , अपने प्रेमी के लिए, अपार प्रेम, और सम्मान होता है, कभी- कभी, जब जिंदगी उनकी, मेहरबान होती उनपर , तो प्रेम कितना सुंदर हो सकता है, उसकी एक झलकी मात्र अनुभव कर पाते,अपने प्रेम को खुश देख कर खुश हो जाते,  और कोई आशा भी नहीं रखते,

दूसरे वो, जो प्रेम व्यक्त भी करते हैं, प्रेम के बदले प्रेम भी मिलता है, पर उतना नहीं जितना वो देते हैं, प्रेम नाम के पौधे को मिट्टी में तो दोनो लगाते, पर सींचता बस एक हीं है, दूसरा बस अपेक्षाएं रखता की पहला सींच लेगा, और अपेक्षाएं पूरी ना होने पर, पौधे को ही नुकसान पहुंचा डालता है, फिर जो अधिक प्रेम करता , उसे पौधे को सींचना भी पड़ता और संभालना भी।

और तीसरे वो जिन्हें उनके प्रेम के बदले वैसा ही प्रेम मिलता जैसा वो करते हैं, उनका प्रेमी उनके लिए धूप में छांव का काम करता है, उनके घाव में मरहम की तरह काम करता है,, जिंदगी के हर मुश्किल सफर में हाथ थामे चलता है, मां की तरह गोद में सुलाता है ,पिता की तरह संभालता है, और भाई की तरह हिफाजत करता है, यह तीसरे प्रेमी सबसे ज्यादा भाग्यशाली होते हैं, क्योंकि वास्तव में सही अर्थ में जो प्रेम का मतलब है उन्हें वही मिलता है।

©Durga_bondopadhay

प्रेमी मूलत तीन तरह के होते हैं, पहले वो , जो कभी अपने प्रेम के सामने , अपना प्रेम व्यक्त नहीं कर पाते, और अगर व्यक्त कर भी दे, तो भी प्रेम के बदले, प्रेम नहीं मिलता, निस्वार्थ भाव से बस प्रेम करते हैं,उनके हृदय में , अपने प्रेमी के लिए, अपार प्रेम, और सम्मान होता है, कभी- कभी, जब जिंदगी उनकी, मेहरबान होती उनपर , तो प्रेम कितना सुंदर हो सकता है, उसकी एक झलकी मात्र अनुभव कर पाते,अपने प्रेम को खुश देख कर खुश हो जाते, और कोई आशा भी नहीं रखते, दूसरे वो, जो प्रेम व्यक्त भी करते हैं, प्रेम के बदले प्रेम भी मिलता है, पर उतना नहीं जितना वो देते हैं, प्रेम नाम के पौधे को मिट्टी में तो दोनो लगाते, पर सींचता बस एक हीं है, दूसरा बस अपेक्षाएं रखता की पहला सींच लेगा, और अपेक्षाएं पूरी ना होने पर, पौधे को ही नुकसान पहुंचा डालता है, फिर जो अधिक प्रेम करता , उसे पौधे को सींचना भी पड़ता और संभालना भी। और तीसरे वो जिन्हें उनके प्रेम के बदले वैसा ही प्रेम मिलता जैसा वो करते हैं, उनका प्रेमी उनके लिए धूप में छांव का काम करता है, उनके घाव में मरहम की तरह काम करता है,, जिंदगी के हर मुश्किल सफर में हाथ थामे चलता है, मां की तरह गोद में सुलाता है ,पिता की तरह संभालता है, और भाई की तरह हिफाजत करता है, यह तीसरे प्रेमी सबसे ज्यादा भाग्यशाली होते हैं, क्योंकि वास्तव में सही अर्थ में जो प्रेम का मतलब है उन्हें वही मिलता है। ©Durga_bondopadhay

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