Village Life आरज़ूएँ बेतहासा और मजबूरियाँ बहुत हैं
हज़ारों की भीड़ में भी तन्हाईयाँ बहुत हैं
नकली हँसी है लब पर ग़मगिनियाँ बहुत हैं
ख़ुशियों की धूप फीकी परछाईयाँ बहुत हैं
©Ashraf Fani【असर】
आरज़ूएँ बेतहासा और मजबूरियाँ बहुत हैं
हज़ारों की भीड़ में भी तन्हाईयाँ बहुत हैं
नकली हँसी है लब पर ग़मगिनियाँ बहुत हैं
ख़ुशियों की धूप फीकी परछाईयाँ बहुत हैं
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