उम्मीद
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हर शक़्स की ख़्वाहिश, उसे कोई चाहे तारीफ़ करे, सरे-आम सराहे
समंदर की लहरों सा संग बहता जाए हर ग़म, हर ख़ुशी में साथ निभाए
अश्क़ों से कहीं दूर ले जाए तोहफ़े में हर मर्तबा खुशियाँ लाए
उसके हर ख़्वाब को हक़ीकत बनाए मौत के बाद भी कहीं उसके रूह में रह जाए
मनीष राज
©Manish Raaj
#उम्मीद