बच्चों कि खुशी के लिये, वो सब सहन कर जाती है आंच ज

"बच्चों कि खुशी के लिये, वो सब सहन कर जाती है आंच जो आये घर पर, वो दुर्गा बन जाती है और अपने गम सभी से छिपा बंद कमरे मे रोती है मां, मां होती है, मां , मां होती है। अंकित गुप्ता "नादान""

 बच्चों कि खुशी के लिये, वो सब सहन कर जाती है
आंच जो आये घर पर, वो दुर्गा बन जाती है
और अपने गम सभी से छिपा बंद कमरे मे रोती है
मां, मां होती है, मां , मां होती है।
       अंकित गुप्ता "नादान"

बच्चों कि खुशी के लिये, वो सब सहन कर जाती है आंच जो आये घर पर, वो दुर्गा बन जाती है और अपने गम सभी से छिपा बंद कमरे मे रोती है मां, मां होती है, मां , मां होती है। अंकित गुप्ता "नादान"

#emptiness

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