क्या हूं मैं खुद से यही सवाल करती हूं छोड़कर अपने | हिंदी कविता

"क्या हूं मैं खुद से यही सवाल करती हूं छोड़कर अपने सपने अनचाही राहों में चलती हूं। सोची थी एक खूबसूरत जिंदगी जहां थी सपनों को पाने की बुलंदी। फिर जिंदगी ने कुछ यूं उलझाया केसे टूटते है सपने वक्त ने बतलाया। कब तक छुपाओगी अपने अरमान क्या हो तुम सबको जानने दो ना आज। arti ✍️ ©jyoti"

 क्या हूं मैं खुद से यही सवाल करती हूं
छोड़कर अपने सपने अनचाही राहों में चलती हूं।
सोची थी एक खूबसूरत जिंदगी
जहां थी सपनों को पाने की बुलंदी।
फिर जिंदगी ने कुछ यूं उलझाया
केसे टूटते है सपने वक्त ने बतलाया।
कब तक छुपाओगी अपने अरमान
क्या हो तुम सबको जानने दो ना आज।
arti ✍️

©jyoti

क्या हूं मैं खुद से यही सवाल करती हूं छोड़कर अपने सपने अनचाही राहों में चलती हूं। सोची थी एक खूबसूरत जिंदगी जहां थी सपनों को पाने की बुलंदी। फिर जिंदगी ने कुछ यूं उलझाया केसे टूटते है सपने वक्त ने बतलाया। कब तक छुपाओगी अपने अरमान क्या हो तुम सबको जानने दो ना आज। arti ✍️ ©jyoti

#क्या हूं आज

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