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तुम्हारे साथ समय स्वर्ग था
दुनिया तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा लगती थी
दुनिया की हलचलें
बुनाई के समय धागों पर
दोड़ती तुम्हारी अंगुलियां लगती थी
दुनिया के आभूषणों में
तुम्हारे द्वारा बनाई 'पेंटिंग' दिखती थी
दुनिया की अच्छाई में
तुम्हारी नेकदिली नजर आती थी
दुनिया की हरियाली में
तुम्हारी पाक कला नजर आती थी
दुनिया का ना समझ होना
तुम्हारी मासूमियत सी लगती थी
मैंने कभी नहीं सोचा था
दिन इतने कठोर होंगे
दुनिया का रंग इतना फीका भी होगा
घाव मेरे इतने अदृश्य होंगे
दिन घावों पर नमक छिड़केंगे
मैं दुखों का कोई अंत नहीं देख पाऊँगा
तुम्हारे आदर्श ही घावों को भरेंगे
तुम्हारी यादों से बस मन बहलायेंगे।।
©Mohan Sardarshahari
# दिलरुबा