White नजाकत देखीं थीं मैंने उनके बातों के जाल में,
सच्चाई झलक रही थी जैसे उनके गाल में,
मैं क्या कोई और भी पिघल जाता ऐसे हाल में,
मोहब्बत का बैंक था मेरा वह निकली कर्जदार
करके मोहब्बत फस गया मैं
अब गिनती होती है कंगाल में..!
©Himanshu Prajapati
#hindi_poem_appreciation नजाकत देखीं थीं मैंने उनके बातों के जाल में,
सच्चाई झलक रही थी जैसे उनके गाल में,
मैं क्या कोई और भी पिघल जाता ऐसे हाल में,
मोहब्बत का बैंक था मेरा वह निकली कर्जदार
करके मोहब्बत फस गया मैं
अब गिनती होती है कंगाल में..!