पतवार अब अपने हाथों में सँभाली जाए तभी मुमकिन है, | English Poetry Vid

पतवार अब अपने हाथों में सँभाली जाए
तभी मुमकिन है, डूबती नाव बचा ली जाए

फरिश्तों का लिबास पहना है कुछ लुटेरों ने
कोई ग़लतफ़हमी इनके बारे न पाली जाए

तुम्हें अपनी पड़ी है ये बात तो ठीक नहीं
गैरों की मदद करने की आदत डाली जाए

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