कुछ शामें बीत रही थी, मगर हम मशगूल थे बस उन्हीं क | हिंदी शायरी

"कुछ शामें बीत रही थी, मगर हम मशगूल थे बस उन्हीं की याद में। ©gunam_niru"

 कुछ शामें बीत रही थी,

मगर हम मशगूल थे बस उन्हीं की याद में।

©gunam_niru

कुछ शामें बीत रही थी, मगर हम मशगूल थे बस उन्हीं की याद में। ©gunam_niru

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