ये है कौन क्यों ऐसे अड़ा है पहाड़े पिघल रही है और | हिंदी कविता

"ये है कौन क्यों ऐसे अड़ा है पहाड़े पिघल रही है और ये सोच वो दुख में पड़ा है पर क्यों माना नदियां सूख रही है खेतों की मिट्टी रेत हो रही है जंगल कम हो गए हवाओं में थोड़ा जहर है तो क्या सरकारें हैं न माना अभी चुनाव है जब नही होगा तब वो दुनिया भर घूम कर पर्यावरण की ही तो बात करते है है तो लोकतंत्र जनता ने सरकार बना दी है वो क्यों पीछे पड़ा है वो है कोन क्यों भूखे अड़ा है !! ©मिहिर"

 ये है कौन 
क्यों ऐसे अड़ा है
पहाड़े पिघल रही है
और ये सोच वो दुख में पड़ा है
पर क्यों
माना नदियां सूख रही है
खेतों की मिट्टी रेत हो रही है
जंगल कम हो गए
हवाओं में थोड़ा जहर है 
तो क्या 
सरकारें हैं न 
माना अभी चुनाव है 
जब नही होगा तब वो दुनिया भर घूम कर
पर्यावरण की ही तो बात करते है
है तो लोकतंत्र जनता ने सरकार बना दी है
वो क्यों पीछे पड़ा है
वो है कोन
क्यों भूखे अड़ा है !!

©मिहिर

ये है कौन क्यों ऐसे अड़ा है पहाड़े पिघल रही है और ये सोच वो दुख में पड़ा है पर क्यों माना नदियां सूख रही है खेतों की मिट्टी रेत हो रही है जंगल कम हो गए हवाओं में थोड़ा जहर है तो क्या सरकारें हैं न माना अभी चुनाव है जब नही होगा तब वो दुनिया भर घूम कर पर्यावरण की ही तो बात करते है है तो लोकतंत्र जनता ने सरकार बना दी है वो क्यों पीछे पड़ा है वो है कोन क्यों भूखे अड़ा है !! ©मिहिर

#वो है कौन !!

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