आँखों की पहरेदार ये पलकें, बिना इजाज़त जाये कौन
ख्वाबों की फेहरिश्त लगी है दरवाजा खटकाए कौन
आग का दरिया कितना गहरा, होगा हमको क्या करना
मुंतज़िर हुं मैं भी के दरिया में आग लगाये कौन
बेमतलब के पैगाम लिए फिरती रहती मसरूफ़ हवा
मेरे आंचल की ख़ुशबू को साजन तक ले जाये कौन
नदी किनारे बैठा बैठा मैं कुछ ऐसा सोच रहा
इन लहरों को लाये कौन , इनको फिर ले जाये कौन
#nojotohindi #ghajal