हुं मैं भी एक इंसा! ख़ुदा के इस जहां ने, हमें भी | हिंदी कविता Video

"हुं मैं भी एक इंसा! ख़ुदा के इस जहां ने, हमें भी इंसाँ बख्शा है… क्या इंसाँ ने भी हमें, इंसाँ बख्शा है… रूप अनोखा नहीं, रहता हूं, मैं भी तो यहां… ख़्वाब अनोखे नहीं, हूं मैं भी तो, एक इंसाँ… आसमां को यूहीं मैं, देखता रहूं, खुद को मैं खुद में यूहीं, खोजता रहूं... मांगा नहीं था, मैंने ये जहां… रूप अनोखा नहीं, हूं मैं भी तो, एक इंसाँ अलग - अलग है, नाम मेरे पहचान मेरी है, अलग - अलग खो गया हूं, मैं तो यहां… ख्वाब अनोखे नहीं, रहता हूं, मैं भी तो यहां क्यों तू मुझे, अपनाता नहीं डरता है मुझसे क्यों, क्या मैं इंसाँ नहीं ठुकराया है मुझको अब जो, जाऊं कहां… रूप अनोखा नहीं, हूं मैं भी, एक इंसाँ अलग - अलग है, जिस्म मेरे रूह तो नहीं है, अलग अलग ढूंढूं, अपने जैसा कहां… ख्वाब अनोखे नहीं, है घर, मेरा भी यहां रूप अनोखा नहीं, रहता हूं, मैं भी तो यहां… ख़्वाब अनोखे नहीं, हूं मैं भी, एक इंसाँ… ©Kamlesh Kumar TTA - 3rd year "

हुं मैं भी एक इंसा! ख़ुदा के इस जहां ने, हमें भी इंसाँ बख्शा है… क्या इंसाँ ने भी हमें, इंसाँ बख्शा है… रूप अनोखा नहीं, रहता हूं, मैं भी तो यहां… ख़्वाब अनोखे नहीं, हूं मैं भी तो, एक इंसाँ… आसमां को यूहीं मैं, देखता रहूं, खुद को मैं खुद में यूहीं, खोजता रहूं... मांगा नहीं था, मैंने ये जहां… रूप अनोखा नहीं, हूं मैं भी तो, एक इंसाँ अलग - अलग है, नाम मेरे पहचान मेरी है, अलग - अलग खो गया हूं, मैं तो यहां… ख्वाब अनोखे नहीं, रहता हूं, मैं भी तो यहां क्यों तू मुझे, अपनाता नहीं डरता है मुझसे क्यों, क्या मैं इंसाँ नहीं ठुकराया है मुझको अब जो, जाऊं कहां… रूप अनोखा नहीं, हूं मैं भी, एक इंसाँ अलग - अलग है, जिस्म मेरे रूह तो नहीं है, अलग अलग ढूंढूं, अपने जैसा कहां… ख्वाब अनोखे नहीं, है घर, मेरा भी यहां रूप अनोखा नहीं, रहता हूं, मैं भी तो यहां… ख़्वाब अनोखे नहीं, हूं मैं भी, एक इंसाँ… ©Kamlesh Kumar TTA - 3rd year

#KavyanjaliAntaragni21

People who shared love close

More like this

Trending Topic