White मित्र! धरातल के प्राणियों की वाणी से बने थे | हिंदी कविता Video

"White मित्र! धरातल के प्राणियों की वाणी से बने थे घाव जो मुझमें, दर्द तब दूर हो गया जब कृष्ण की वाणी का मलहम लगा मुझमें।। थका सा दुखी विचलित धराशाई था जब मैं, प्रवाहित शक्ति  है, अब मुझ में सहारा कृष्ण का पाकर।। लाख हो प्रताड़ित धर्म की ध्वजा ना झुकने दें, कहती है क्या यह दुनिया हो न विचलित कहने दे, जिसने भी सहा है दर्द धर्म के लिए, सारथी कृष्ण उनका बना है।। मित्र वह जो साथ दे,धर्म का जो ज्ञान दे। नीति- अनीति का फ़र्क साफ- साफ करे, अपने कर्तव्य कि बिना डरे सार्थक करे, वह मित्र मानव नहीं साक्षात कृष्ण का स्वरूप बने।। ©nirankar pandey "

White मित्र! धरातल के प्राणियों की वाणी से बने थे घाव जो मुझमें, दर्द तब दूर हो गया जब कृष्ण की वाणी का मलहम लगा मुझमें।। थका सा दुखी विचलित धराशाई था जब मैं, प्रवाहित शक्ति  है, अब मुझ में सहारा कृष्ण का पाकर।। लाख हो प्रताड़ित धर्म की ध्वजा ना झुकने दें, कहती है क्या यह दुनिया हो न विचलित कहने दे, जिसने भी सहा है दर्द धर्म के लिए, सारथी कृष्ण उनका बना है।। मित्र वह जो साथ दे,धर्म का जो ज्ञान दे। नीति- अनीति का फ़र्क साफ- साफ करे, अपने कर्तव्य कि बिना डरे सार्थक करे, वह मित्र मानव नहीं साक्षात कृष्ण का स्वरूप बने।। ©nirankar pandey

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