देश की सीमा पर तैनात, मेरे देश के दो जवान, एक राम दूजा हैवान।
एक सीमा पर ओढ़े खड़ा कफन,
दूजे ने इंसानियत करदी दफन।
एक ने देश की रक्षा की कसम खाई,
दूजे ने अपनी शर्म बेच खाई।
एक धरती मां का कर्ज चुका ता,
दूजा मां बहनों की इज्जत लुटाता
मेरे देश के दो जवान ,एक राम दूजा हैवान।
ज़बान