लिखता हूं अपनी दास्तां ए कहानी यूँ होकर अंजान, ना

"लिखता हूं अपनी दास्तां ए कहानी यूँ होकर अंजान, ना जाने क्यूं लगा दिए तूने मुझपे ये ढेरो इल्ज़ाम, पता नही पर हो गया हूँ अब लोगो मे बदनाम, अब इस दिल्लगी का क्या दूँ मोहतरमा मैं तुझे इनाम ।। ।। एक खुशनुमा मुसाफ़िर ।।"

 लिखता हूं अपनी दास्तां ए कहानी यूँ होकर अंजान,
ना जाने क्यूं लगा दिए तूने मुझपे ये ढेरो इल्ज़ाम,
पता नही पर हो गया हूँ अब लोगो मे बदनाम,
अब इस दिल्लगी का क्या दूँ मोहतरमा मैं तुझे इनाम ।।

।। एक खुशनुमा मुसाफ़िर ।।

लिखता हूं अपनी दास्तां ए कहानी यूँ होकर अंजान, ना जाने क्यूं लगा दिए तूने मुझपे ये ढेरो इल्ज़ाम, पता नही पर हो गया हूँ अब लोगो मे बदनाम, अब इस दिल्लगी का क्या दूँ मोहतरमा मैं तुझे इनाम ।। ।। एक खुशनुमा मुसाफ़िर ।।

हर दर्द की एक ही कहानी ।।

#allalone

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