Nature Quotes 'तेरी कहानी ' के कुछ अंश
कुछ कहानियाँ लिखी है ,मैंने तेरी भी और मेरी भी कुछ रुसवाईयाँ लिखी है मैंने।
बचपन से लेकर जवानी तक की अंगड़ाइयां लिखी है मैंने।
तेरा वो गुल्ली के पीछे भागना , मेरा सड़क तक का सफर निकालना ।
फिर तेरा रोते हुए घर आना बिन खाये सो जाना,
बड़ी मुश्किलों से तुझे तेरी झूठी नींद से जगाना ,हाथों से अपने कुछ निवाले खिलाना और तेरा रोते हुए लिपट जाने की कहानी भी लिखी है मैंने।
कभी फुरसत से मिलना सुनाऊँगा तुझे तेरी ही कहानी अपने हाथों से कैसे लिखी है मैंने।
©Chirag
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