मुझे मालुम है के कोई क्यू यहा नजदीकीया रखते है, फि | हिंदी Poetry

"मुझे मालुम है के कोई क्यू यहा नजदीकीया रखते है, फिरभी मे दिलमे दुलार और वो तो पहेलिया रखते है। मे पुछता रहेता हूँ खुद्से के क्यू उलझा हुवा हूँ मे यहा, वाजिद गुस्ताखीपर शक्सियतपे मेरे ऊँगलिया रखते है। जलती हुवी शमासे वादा लीया है ढलते हुवे सुरजने, उस वादेके खातिर वो शमा खुदको जलतिया रखते है। जुस्तजू-ए-क़फ़स रखना तेरी गलती नही है किरण, दिल-ए-मुज़्तर होना जैसे कोई बीमारियाँ रखते है। मजाल मे दिखाऊँ तो मजाक हो जायेगा उन सबका, तभी हदमे मुस्कान और वो अपनी खूबियाँ रखते है। ©Kiran Powar"

 मुझे मालुम है के कोई क्यू यहा नजदीकीया रखते है,
फिरभी मे दिलमे दुलार और वो तो पहेलिया रखते है।

मे पुछता रहेता हूँ खुद्से के क्यू उलझा हुवा हूँ मे यहा,
वाजिद गुस्ताखीपर शक्सियतपे मेरे ऊँगलिया रखते है।

जलती हुवी शमासे वादा लीया है ढलते हुवे सुरजने,
उस वादेके खातिर वो शमा खुदको जलतिया रखते है।

जुस्तजू-ए-क़फ़स रखना तेरी गलती नही है किरण,
दिल-ए-मुज़्तर होना जैसे कोई बीमारियाँ रखते है।

मजाल मे दिखाऊँ तो मजाक हो जायेगा उन सबका,
तभी हदमे मुस्कान और वो अपनी खूबियाँ रखते है।

©Kiran Powar

मुझे मालुम है के कोई क्यू यहा नजदीकीया रखते है, फिरभी मे दिलमे दुलार और वो तो पहेलिया रखते है। मे पुछता रहेता हूँ खुद्से के क्यू उलझा हुवा हूँ मे यहा, वाजिद गुस्ताखीपर शक्सियतपे मेरे ऊँगलिया रखते है। जलती हुवी शमासे वादा लीया है ढलते हुवे सुरजने, उस वादेके खातिर वो शमा खुदको जलतिया रखते है। जुस्तजू-ए-क़फ़स रखना तेरी गलती नही है किरण, दिल-ए-मुज़्तर होना जैसे कोई बीमारियाँ रखते है। मजाल मे दिखाऊँ तो मजाक हो जायेगा उन सबका, तभी हदमे मुस्कान और वो अपनी खूबियाँ रखते है। ©Kiran Powar

तभी हदमे मुस्कान और वोह अपनी खूबिया रखते है।
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