ढूंढ़ती हैं गांव मुझे, मैं ना जाने कहां निकल पड़ा।
मैं अनजान हुआ रास्तों से जब तो शीश उड़ाया और देखा उप्पर कि ओर
तो वही आसमां, वही सूर्य मिल पड़ा।।
Poet Manish
©POET MANISH
#travelogue#2023
ढूंढ़ती हैं गांव मुझे, मैं ना जाने कहां निकल पड़ा।
मैं अनजान हुआ रास्तों से जब तो शीश उड़ाया और देखा उप्पर कि ओर तो वही आसमां, वही सूर्य मिल पड़ा।।
Poet Manish