मालूम है मुझे की गुजरा वक़्त
लौटता नहीं,
फ़िर भी राह देख रहा हूँ,
पुरानी यादों की तिजोरीयां खोल कर,
आँख भर जाती है जब यादें ,
जेहन में आती है,क्योंकि जनता हूँ
मैं, की एक गुजरा वक़्त ही है
जो लौट कर नहीं आता
रह जाती है, तो बस एक निशानी
यादों की, जो वक़्त के साथ
धूमिल सी पड़ जाती है, फिर भी
यादें यादें ही है, जो जिंदगी को
हर पल जीना सिखाती है
©पथिक..
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