सामने मंज़िल थी और, "आदते बुरी नहीं शौक ऊँचे हैं वर | हिंदी विचार

"सामने मंज़िल थी और, "आदते बुरी नहीं शौक ऊँचे हैं वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही की , हम देखे और पुरा ना हो""

 सामने मंज़िल थी और, "आदते बुरी नहीं शौक ऊँचे हैं वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही की , हम देखे और पुरा ना हो"

सामने मंज़िल थी और, "आदते बुरी नहीं शौक ऊँचे हैं वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही की , हम देखे और पुरा ना हो"

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