सुनू क्या सिंधु में गर्जन तुम्हारा । स्वयं य | हिंदी विचार

"सुनू क्या सिंधु में गर्जन तुम्हारा । स्वयं युग धर्म की हुंकार हूं मैं कठिन निर्घोस हूं भीषण अशिन का। प्रलय गाण्डीव की टंकार हूं में । ©netrapal bharat"

 सुनू क्या सिंधु में   गर्जन तुम्हारा ।
    स्वयं युग धर्म की हुंकार हूं मैं
कठिन निर्घोस  हूं भीषण अशिन का।
      प्रलय गाण्डीव की टंकार हूं में ।

©netrapal bharat

सुनू क्या सिंधु में गर्जन तुम्हारा । स्वयं युग धर्म की हुंकार हूं मैं कठिन निर्घोस हूं भीषण अशिन का। प्रलय गाण्डीव की टंकार हूं में । ©netrapal bharat

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