काग़जीं सी है ज़िंदगी आजकल अल्फ़ाज़ तो निकलते हैं | हिंदी शायरी

"काग़जीं सी है ज़िंदगी आजकल अल्फ़ाज़ तो निकलते हैं कम्बख़्त मज़ा नहीं आता ©Jp Mishra"

 काग़जीं सी है ज़िंदगी आजकल
अल्फ़ाज़ तो निकलते हैं

कम्बख़्त मज़ा नहीं आता

©Jp Mishra

काग़जीं सी है ज़िंदगी आजकल अल्फ़ाज़ तो निकलते हैं कम्बख़्त मज़ा नहीं आता ©Jp Mishra

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