कहो न तुम कुछ इस तरह की बातें जिसके लिए सुना मेरा | हिंदी कविता

"कहो न तुम कुछ इस तरह की बातें जिसके लिए सुना मेरा दिल , सुना जीवन मेरा धड़कता है दिल जिसके लिए , वो कोई ओर नहीं चलता मेरे संग है माथे की मेरी छाया गए वो जब , देश की रक्षा के लिए कुछ सपने संग लिए याद आती है मुस्कराहट के पिछे छुपी उनकी बातें बहना भी होगी राखी भी होगी आँगन में मेरी कलाई पर सच्च कह दो भैया मेरे , वतन की सीमा से क्या संदेशा लाए हो भाभी , भैया मेरे , आज देश के चार - चार दुश्मनों को मौत के घाट उतार कर खुद अपने वतन के तिरंगें में लिपट कर देश को अपने अलविदा कह गए हैं अरे , कहो न तुम एेसी बाते वो फौलादी है संग हमेंशा रहने की कसम खा कर गए थे थर्र - थर्र कांपने लगा क्यों कलेजा मेरा अभी तो आने के निशान उनके अपनी गलीयों से मिटे भी नहीं थे अधूरे सपने तो अभी बाकी थे , क्या सुना रहे हो तुम , मेरे जान से प्यारे अपने बहादुर सुहाग की बातें हो नहीं सकता एेसा जो तुम बता रहे हो लड़ रहा होगा , दुश्मनों से सुहाग मेरा , अपने वतन की सीमा पर आएगें वो राखी पर , अपने बच्चों को कुछ ओर नया दिलाने का वादा करके गए थे वो सच्च कह दो न भैया मेरे , वो तो खुश है ना क्या ? वो भी उन शहीदों की तरह लोट कर घर न आए ©Motivational indar jeet guru"

 कहो न तुम कुछ इस तरह की बातें 
जिसके लिए सुना मेरा दिल , सुना जीवन मेरा 
धड़कता है दिल जिसके लिए , वो कोई ओर नहीं 
चलता मेरे संग है माथे की मेरी छाया 
गए वो जब , देश की रक्षा के लिए कुछ सपने संग लिए 
याद आती है मुस्कराहट के पिछे छुपी उनकी बातें 
बहना भी होगी राखी भी होगी आँगन में मेरी कलाई पर
सच्च कह दो भैया मेरे ,  वतन की सीमा से क्या संदेशा लाए हो 
भाभी , भैया मेरे , आज देश के चार - चार दुश्मनों को 
मौत के घाट उतार कर 
खुद अपने वतन के तिरंगें में लिपट कर 
देश को अपने अलविदा कह गए हैं 
अरे , कहो न तुम एेसी बाते वो फौलादी है 
संग हमेंशा रहने की कसम खा कर गए थे 
थर्र - थर्र कांपने लगा क्यों कलेजा मेरा 
अभी तो आने के निशान उनके अपनी गलीयों से मिटे भी नहीं थे 
अधूरे सपने तो अभी बाकी थे , क्या सुना रहे हो तुम , 
मेरे जान से प्यारे अपने बहादुर सुहाग की बातें  
हो नहीं सकता एेसा जो तुम बता रहे हो 
लड़ रहा होगा , दुश्मनों से सुहाग मेरा , अपने वतन की सीमा पर 
आएगें वो राखी पर , अपने बच्चों को कुछ ओर नया 
दिलाने का वादा करके गए थे वो 
सच्च कह दो न भैया मेरे , वो तो खुश है ना 
क्या ? वो भी उन शहीदों की तरह लोट कर घर न आए

©Motivational indar jeet guru

कहो न तुम कुछ इस तरह की बातें जिसके लिए सुना मेरा दिल , सुना जीवन मेरा धड़कता है दिल जिसके लिए , वो कोई ओर नहीं चलता मेरे संग है माथे की मेरी छाया गए वो जब , देश की रक्षा के लिए कुछ सपने संग लिए याद आती है मुस्कराहट के पिछे छुपी उनकी बातें बहना भी होगी राखी भी होगी आँगन में मेरी कलाई पर सच्च कह दो भैया मेरे , वतन की सीमा से क्या संदेशा लाए हो भाभी , भैया मेरे , आज देश के चार - चार दुश्मनों को मौत के घाट उतार कर खुद अपने वतन के तिरंगें में लिपट कर देश को अपने अलविदा कह गए हैं अरे , कहो न तुम एेसी बाते वो फौलादी है संग हमेंशा रहने की कसम खा कर गए थे थर्र - थर्र कांपने लगा क्यों कलेजा मेरा अभी तो आने के निशान उनके अपनी गलीयों से मिटे भी नहीं थे अधूरे सपने तो अभी बाकी थे , क्या सुना रहे हो तुम , मेरे जान से प्यारे अपने बहादुर सुहाग की बातें हो नहीं सकता एेसा जो तुम बता रहे हो लड़ रहा होगा , दुश्मनों से सुहाग मेरा , अपने वतन की सीमा पर आएगें वो राखी पर , अपने बच्चों को कुछ ओर नया दिलाने का वादा करके गए थे वो सच्च कह दो न भैया मेरे , वो तो खुश है ना क्या ? वो भी उन शहीदों की तरह लोट कर घर न आए ©Motivational indar jeet guru

# कुछ याद उनको भी करलो जो लौट कर घर न आए ।

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