White ग़ज़ल :-
किसी की किसी से लड़ाई नही है ।
लबों पे किसी के दुहाई नही है ।।
जाँ बीमार की फिर बचाई नही है ।
हकीमों ने बोला कमाई नही है ।।
तड़पता रहा मर्ज़ से वो भी अपने ।
कहा सबने इसकी दवाई नही है ।।
डुबा ही दिया कर्ज़ ने देखो उसको ।
गरीबों की अब रह नुमाई नही है ।।
यही वो जगह है जहाँ पर खुदा ने ।
सज़ा आदमी को सुनाई नहीं है ।।
दिखाओ हमें भी यहाँ शख्स कोई ।
हुई जिसकी अब तक रिहाई नही है ।।
चले ही गये सब जहाँ से थे आये ।
कभी मौत अपनी बुलाई नही है ।।
न देखूँ उसे क्यूँ नज़र भर बताओ ।
बसी जाँ है जिसमें पराई नही है ।।
प्रखर ही सुनाये मुहब्बत के किस्से ।
मुहब्बत में उसके जुदाई नही है ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :-
किसी की किसी से लड़ाई नही है ।
लबों पे किसी के दुहाई नही है ।।