कसूर तो था। इन निगाहों का जो चुपके से दीदार कर बैठ | हिंदी Shayari

"कसूर तो था। इन निगाहों का जो चुपके से दीदार कर बैठी। हमने तो खामोश रहने की ठानी भी कमबख़्त ये जुबान इजहार कर बैठे।। ©Writer @143"

 कसूर तो था।
इन निगाहों का जो चुपके से दीदार कर बैठी।
हमने तो खामोश रहने की ठानी भी
कमबख़्त ये जुबान इजहार कर बैठे।।

©Writer @143

कसूर तो था। इन निगाहों का जो चुपके से दीदार कर बैठी। हमने तो खामोश रहने की ठानी भी कमबख़्त ये जुबान इजहार कर बैठे।। ©Writer @143

#raindrops कसूर

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