अनुभूति
तू रक्षा करी, तू वीर माता,
तू मोक्षदायिनी माता
तू चंड मुंड का विनाश करती और
एकादशी रूद्र बनाकर रक्षा करती
तू चैतन्य को चेतना में विलीन करती
और सहस्रार में हृदय को धड़काती
तू सहस्रार से प्रदक्षणा तक निर्विकल्प की स्थिति को जाग्रत करती है
प्रदक्षणा से अपने चरणों तक
तू मौन की स्थिति को जाग्रत करती
©Rakhi Om
#sahajyoga