जैसे मुरे हो वैसे मंजर होता है मौसम तो इंसान के अं | हिंदी शायरी

"जैसे मुरे हो वैसे मंजर होता है मौसम तो इंसान के अंदर होता है ©Puja Roy"

 जैसे मुरे हो वैसे मंजर होता है मौसम तो इंसान के अंदर होता है

©Puja Roy

जैसे मुरे हो वैसे मंजर होता है मौसम तो इंसान के अंदर होता है ©Puja Roy

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