रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा | हिंदी Shayari

"रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत ©Anant Nag Chandan"

 रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में,
जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में।
अनंत

©Anant Nag Chandan

रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत ©Anant Nag Chandan

रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में,
जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में।
अनंत

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