नहीं आता मेरे शब्दों को यूँ नीलाम हो जाना कुर्सी | हिंदी कविता

"नहीं आता मेरे शब्दों को यूँ नीलाम हो जाना कुर्सी का होकर केवल कुर्सी ही में खो जाना मेरे अक्षर अनोखी वर्णमाला से निकलते हैं अलग संसार का ये चाहते हैं बीज बो जाना -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal"

 नहीं आता मेरे शब्दों को यूँ नीलाम हो जाना 
कुर्सी का होकर केवल कुर्सी ही में खो जाना 
मेरे अक्षर अनोखी वर्णमाला से निकलते हैं 
अलग संसार का ये चाहते हैं बीज बो जाना 
-सरिता मलिक बेरवाल

©Sarita Malik Berwal

नहीं आता मेरे शब्दों को यूँ नीलाम हो जाना कुर्सी का होकर केवल कुर्सी ही में खो जाना मेरे अक्षर अनोखी वर्णमाला से निकलते हैं अलग संसार का ये चाहते हैं बीज बो जाना -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal

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