कितना सुकून देता है,
तुम्हारा किसी और कॉल पर न होना,
कितना कुछ कह देता है,
मेरे मन का चप्पा चप्पा कोना कोना।
माना कि बातें अब नहीं रहीं,
पर तुम किसी और से करो ये गवारा नहीं,
माना कि मुलाकातें नहीं हुईं,
पर तुम किसी और से मिलो ये गवारा नहीं।
अब तुम क्यों रात रात जगते हो,
क्या मेरी कहीं बातें किसी और से करते हो,
अब तुम क्यों इतना सजते संवरते हो,
क्या मुझे चेहरा दिखा किसी और की बाँहें भरते हो।
चलो छोड़ो न क्या कहें क्या सुने,
हमने तुम्हारी खुशियों की हैं ख्वाब बुने,
पर शायद प्यार की सिलाई कच्ची रह गयी,
मोहब्बत से अब तो दोस्ती अच्छी रह गयी।
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