आँखें आज भी उसी के इंतजार में हैं, यार जाने क्या न | हिंदी शायरी

"आँखें आज भी उसी के इंतजार में हैं, यार जाने क्या नश्शा उसके प्यार में है ! उसकी यादों में,बातों में खोए रहते हैं हम, और वो तैयारी-ए-वस्ल-ए-यार में है ! मौसम सारे बेरंग हो चुके मेरी जिंदगी के, उसके सभी दिन कट रहे बहार में हैं ! अरे कोई तो समझाओ उस नादान को, कि जिस्म उसका हवस के शिकार में है ! मेरी निगाह-ए-शौक बन गई गम-ए-हयात, अब दर-ए-फुरकत उसके दीदार में है ! ✍अनुराग विश्वकर्मा"

 आँखें आज भी उसी के इंतजार में हैं,
यार जाने क्या नश्शा उसके प्यार में है !

उसकी यादों में,बातों में खोए रहते हैं हम,
और वो तैयारी-ए-वस्ल-ए-यार में है !

मौसम सारे बेरंग हो चुके मेरी जिंदगी के,
उसके सभी दिन कट रहे बहार में हैं !

अरे कोई तो समझाओ उस नादान को,
कि जिस्म उसका हवस के शिकार में है !

मेरी निगाह-ए-शौक बन गई गम-ए-हयात,
अब दर-ए-फुरकत उसके दीदार में है !

     ✍अनुराग विश्वकर्मा

आँखें आज भी उसी के इंतजार में हैं, यार जाने क्या नश्शा उसके प्यार में है ! उसकी यादों में,बातों में खोए रहते हैं हम, और वो तैयारी-ए-वस्ल-ए-यार में है ! मौसम सारे बेरंग हो चुके मेरी जिंदगी के, उसके सभी दिन कट रहे बहार में हैं ! अरे कोई तो समझाओ उस नादान को, कि जिस्म उसका हवस के शिकार में है ! मेरी निगाह-ए-शौक बन गई गम-ए-हयात, अब दर-ए-फुरकत उसके दीदार में है ! ✍अनुराग विश्वकर्मा

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