दिन में सूरज़ रात में माहताब मत देखा कर! पागल हो ज | हिंदी शायरी

"दिन में सूरज़ रात में माहताब मत देखा कर! पागल हो जायेगा तू इतना ख्वाब़ मत देखा कर!! ©अंजान"

 दिन में सूरज़ रात में माहताब मत देखा कर!
पागल हो जायेगा तू इतना ख्वाब़ मत देखा कर!!

©अंजान

दिन में सूरज़ रात में माहताब मत देखा कर! पागल हो जायेगा तू इतना ख्वाब़ मत देखा कर!! ©अंजान

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