रात रात भर जागा करते थे, अधखुले दरीचों से झाँका कर | हिंदी शायरी

"रात रात भर जागा करते थे, अधखुले दरीचों से झाँका करते थे। बस एक शख्श की परवाह, सारी दुनिया से दूर भागा करते थे। इश्क़ में इंतज़ार का भी है मज़ा, मुद्दतों चाँद तारों को ताका करते थे। ©Gaurav Sinha"

 रात रात भर जागा करते थे,
अधखुले दरीचों से झाँका करते थे।

बस एक शख्श की परवाह,
सारी दुनिया से दूर भागा करते थे।

इश्क़ में इंतज़ार का भी है मज़ा,
मुद्दतों चाँद तारों को ताका करते थे।

©Gaurav Sinha

रात रात भर जागा करते थे, अधखुले दरीचों से झाँका करते थे। बस एक शख्श की परवाह, सारी दुनिया से दूर भागा करते थे। इश्क़ में इंतज़ार का भी है मज़ा, मुद्दतों चाँद तारों को ताका करते थे। ©Gaurav Sinha

रात रात भर जागा करते थे,
अधखुले दरीचों से झाँका करते थे।

बस एक शख्श की परवाह,
सारी दुनिया से दूर भागा करते थे।

इश्क़ में इंतज़ार का भी है मज़ा,
मुद्दतों चाँद तारों को ताका करते थे।

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