जो खुद ही फूल हो फिर फूल को स्वीकार क्या करना,
तू खुशबू है गुलाबों की तो ये त्यौहार क्या करना है।
मेरे हिस्से में तू आए तो फिर महके मेरा जीवन,
मुझे सूखे गुलाबों का ये कारोबार क्या करना।
happy Rose day 🌹🌹🌹
रोज डे पर मुक्तक by प्रज्ञा शुक्ला
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