बिना मौसम कि आसमां में काले बादल छाए हैं।
गरज-गरज कर उड़ते तुफान से बरसात आई है।।
मानव कि स्वार्थ से प्रकृति के साथ छेड़खानी ने प्रकृति ने अपने रंग दिखा रही है।
गर्मी के दिनों में बरसात से प्राणीयों कि जीवन अस्त व्यस्त हो रही है।।
©Ghanshyam Ratre
प्रकृति कि मार