महफ़िलों में अब किसी की ये ठहरता नहीं है, तुझसे बि | हिंदी शायरी Video

"महफ़िलों में अब किसी की ये ठहरता नहीं है, तुझसे बिछड़ कर अब दिल कहीं लगता नहीं है, महफिलों में जिक्र जब कभी मोहब्बत का है होता, मैं बस तुझे याद कर और खुद को तन्हा पा कर, महफिलों से उठ आता हूं। ©शायर "श्री" "

महफ़िलों में अब किसी की ये ठहरता नहीं है, तुझसे बिछड़ कर अब दिल कहीं लगता नहीं है, महफिलों में जिक्र जब कभी मोहब्बत का है होता, मैं बस तुझे याद कर और खुद को तन्हा पा कर, महफिलों से उठ आता हूं। ©शायर "श्री"

#Blossom

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