भीतर-भीतर टुटा है वो पर उसके चेहरे से

"भीतर-भीतर टुटा है वो पर उसके चेहरे से कुछ कभी जाहिर नहीं होता बेशक़ अनगिनत गम झेला है उसने वरना कोई यूँ रोते-रोते मुस्कुराने में माहिर नहीं होता..."

 भीतर-भीतर  टुटा   है   वो 
पर   उसके   चेहरे   से   
कुछ  कभी  जाहिर  नहीं   होता 

बेशक़   अनगिनत   गम   झेला   है   उसने 
वरना   कोई   यूँ   रोते-रोते  मुस्कुराने   में   माहिर   नहीं   होता...

भीतर-भीतर टुटा है वो पर उसके चेहरे से कुछ कभी जाहिर नहीं होता बेशक़ अनगिनत गम झेला है उसने वरना कोई यूँ रोते-रोते मुस्कुराने में माहिर नहीं होता...

#lets_smile_for_a_while

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