लौट ता हूं तो सुकुं का बिस्तर होता है छोटा सा ही स | हिंदी शायरी

"लौट ता हूं तो सुकुं का बिस्तर होता है छोटा सा ही सही घर तो घर होता है ज़ख्म नहीं कोई दवा कैसे लगाओगे दर्द तो मेरे दिल के अंदर होता है ©Ashfak Shaikh"

 लौट ता हूं तो सुकुं का बिस्तर होता है
छोटा सा ही सही घर तो घर होता है 

ज़ख्म नहीं कोई दवा कैसे लगाओगे
दर्द तो मेरे दिल के अंदर होता है

©Ashfak Shaikh

लौट ता हूं तो सुकुं का बिस्तर होता है छोटा सा ही सही घर तो घर होता है ज़ख्म नहीं कोई दवा कैसे लगाओगे दर्द तो मेरे दिल के अंदर होता है ©Ashfak Shaikh

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