कौन कौन से ख्वाब समेटू हर दूसरा तो पहले से ज्यादा | हिंदी शायरी Video

"कौन कौन से ख्वाब समेटू हर दूसरा तो पहले से ज्यादा जरूरी लगता है। घर चलूं, घर से चलूं या घर के लिए चलूं क्या करूं क्या छोड़ दूं .. हर दूसरा तो पहले से ज्यादा जरूरी लगता है। कश्मश भी ऐसी है कि मन तूफान सा रुकता ही नहीं शरीर ठहरना चाहता है कतरन कतरन जोड़कर जो पर्दा बना है किस्मत से... नासमझ तेज हवा में फहरना चाहता है। कैसे समझूं, कब तक समझूं और किस किस बात का किस्सा याद रखूं .. और क्या क्या भूल जाऊं हर दूसरा तो पहले से ज्यादा जरूरी लगता है। ©Aakash Pandey "

कौन कौन से ख्वाब समेटू हर दूसरा तो पहले से ज्यादा जरूरी लगता है। घर चलूं, घर से चलूं या घर के लिए चलूं क्या करूं क्या छोड़ दूं .. हर दूसरा तो पहले से ज्यादा जरूरी लगता है। कश्मश भी ऐसी है कि मन तूफान सा रुकता ही नहीं शरीर ठहरना चाहता है कतरन कतरन जोड़कर जो पर्दा बना है किस्मत से... नासमझ तेज हवा में फहरना चाहता है। कैसे समझूं, कब तक समझूं और किस किस बात का किस्सा याद रखूं .. और क्या क्या भूल जाऊं हर दूसरा तो पहले से ज्यादा जरूरी लगता है। ©Aakash Pandey

हर दूसरा तो जरूरी लगता है।

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