रिश्ते तो स्याही की लिखावट है
बदलती नही सालो वो बनावट है
कुछ गलत सही करने को
या तो पन्ना फाड़ देना पड़ता है
या वो गलत काट देना पड़ता है
बात बस इतनी सी है
रिश्ते तो स्याही की लिखावट है
फटे पन्ने कूड़ेदान मैं मिलते है
कटी हुई स्याही मैं अक्षर नही दिखते है
बात बस इतनी सी है
रिश्ते तो स्याही की एक लिखावट है
अजय काव्यांश✍️
©अजय
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