सहारे" तुझे किसका डर है ! ज़ब संग हौसलों का पर ह | हिंदी शायरी

""सहारे" तुझे किसका डर है ! ज़ब संग हौसलों का पर है ! क्यूँ भटकता है तू दर-ब-दर... खुला आसमां तेरा घर है !! स्वरचित ©Omprakash Sahare"

 "सहारे" तुझे किसका डर है !
  ज़ब संग हौसलों का पर है !
  क्यूँ भटकता है तू दर-ब-दर...
   खुला आसमां तेरा घर है !!

    स्वरचित

©Omprakash Sahare

"सहारे" तुझे किसका डर है ! ज़ब संग हौसलों का पर है ! क्यूँ भटकता है तू दर-ब-दर... खुला आसमां तेरा घर है !! स्वरचित ©Omprakash Sahare

#lonely

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